Thursday, July 24, 2008

मेरे यूरोप यात्रा की झलकियाँ: नीदरलैंड(2)

इस प्रकार हम हेग शहर की विभिन्न जानकारिया प्राप्त कर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस की ओर रवाना हुए जोकि पीस पैलेस नामक भवन में स्थित है। यहॉं पर हमें क्रोअशिया तथा सर्बिया के बीच चल रहे मामले की सुनवाई को देखने का अवसर प्राप्त हुआ । पंद्रह न्यायधिशों के बेंच के सामने दोनो पक्षों के वकीलों को जिरह करते हुए दंखना एक नया अनुभव रहा । इसके पश्चात हम इसी भवन में स्थित पीस पैलेस लायब्रेरी में गए जहॉं हमें वहॉं के निदेशक ने पीस पैलेस के संबंध मे ऐतिहासिक जानकारियॉं दी। उन्होने बताया कि लायबे्ररी की किताबों को अगर सीधी रेखा मे लगाया जाए तो उनकी लंबाई करीब १६ किमी होगी । यह सुनकर हम सभी हतप्रभ थे।
हमारे अगले दिन की शुरूआत हुई इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट से। यहॉं पर हमें बहुत की जटिल सुरक्षा जॉंच से गुजरना पड़ा जिसके बाद ही हम कोर्टं परिसर मे दाखिल हो सके। इस कोर्ट में अंतराष्ट्रीय अपराधियों के मामलो की सुनवाई की जाती है। यहॉं पर वक्ताओं ने संबोधित करते हुए इसके प्रारंभ होने की वजह, इसके गठन तथा वर्तमान में चल रहे कुछ प्रकरण के संबंध में विस्तृत जानकारी दी । कोर्ट से हम सीधे नीदरलैण्ड़ की राजधानी एम्सटरडम के लिए रवाना हुए जहॉं हमने डच लेबर पार्टी की अंतर्राष्ट्रीय सचिव सुश्री लाफेबेर से मुलाकात की । काफी युवा होने बावजूद उनहे राजनीति का अच्छा अनुभव है। उनकी पार्टी वर्तमान में देश की सत्ता संभालने वाली गठबंधन सरकार में शामिल है। अपने उद्बोधन में उन्होंने देश की राजनीति शासन-व्यवस्था तथा समस्याओं के विषय में प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि सरकार के सामने सबसे बडी चुनौती अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा एवं संरक्षण है। इस ज्ञानवर्धक उद्बोधन के पश्चात हम सभी ने यह महसूस किया कि यहॉं के राजनितिज्ञ सरल, सादगीपूर्ण एवं अपने कार्यो के लिए अधिक जिम्मेदार है। अपने अगले मुलाकात के लिए हम काफी उत्साहित थे क्योंकि हमें मिलना था भारतीय राजदूत सुश्री नीलम सबरवाल से। जैसे ही हम द हेग स्थित उनके दूतवास में पहुचे उन्होंने गर्मजोशी से हमारा स्वागत किया। वार्तालाप के दौरान उन्होंने भारत तथा नीदरलैण्ड के बीच विभिन्न व्यापारिक तथा राजनैतिक समझौतो के बारे मे बताया। हम सभी को यह जानकर अत्यंत खुशी हुई की नीदरलैण्ड सरकार ने इस वर्ष भारत-पर्व मनाने का निर्णय लिया है। वार्तालाप के पश्चात हमने भारतीय व्यन्जनों का भी आनंद लिया जोकि सभी के लिए एक सुखद अनुभव रहा ।

5 comments:

Amit K Sagar said...

बहुत सुंदर ज़नाब. लिखते रहिये. संस्मरण का अपना इक सुख होता है. आगे पढ़ना चाहेंगे. शुक्रिया.
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यहाँ भी पधारे;
उल्टा तीर

Udan Tashtari said...

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.

वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.

Udan Tashtari said...

वर्ड वेरिपिकेशन आपके यहाँ है नहीं, अतः वो हिस्सा इग्नोर कर दें. :)

शैलेश भारतवासी said...

आप तो बहुत पहले से ब्लॉग पर लिख रहे हैं, लेकिन ब्लॉग परिवार से इतने दिनों बाद जुड़े। खैर,
हिन्दी ब्लॉग परिवार में आपका स्वागत है। हम आपसे नियमित ब्लॉग लेखन की अपेक्षा करते हैं।

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दीपक said...

जारी रखीये ॥पढ रहा हुँ